भारत के संविधान का अनुच्छेद 123: राष्ट्रपति के द्वारा अध्यादेश जारी करना
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। यह अनुच्छेद संसद के सत्र के अभाव में या संसद के सत्र में होने वाले विलंब के दौरान आवश्यक कानूनों को लागू करने की अनुमति देता है।
अध्यादेश जारी करने की शर्तें:
- संसद का सत्र न होना: राष्ट्रपति केवल तभी अध्यादेश जारी कर सकता है जब संसद का सत्र न हो।
- आवश्यकता: अध्यादेश जारी करने के लिए किसी कानून की तत्काल आवश्यकता होनी चाहिए।
- संसद की सहमति: अध्यादेश को संसद द्वारा अपने अगले सत्र में अनुमोदित किया जाना चाहिए।
अध्यादेश की अवधि:
- एक अध्यादेश जारी होने के बाद छह सप्ताह के भीतर संसद को अध्यादेश के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
- यदि संसद अपने अगले सत्र में अध्यादेश को अनुमोदित नहीं करती है, तो अध्यादेश 6 सप्ताह के बाद निरस्त हो जाता है।
अध्यादेश की शक्ति:
- अध्यादेश का कानून की तरह प्रभाव होता है।
- संसद द्वारा पारित कानून की तरह अध्यादेश भी न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- अनुच्छेद 123 भारत के संविधान के अनुच्छेद 107 और अनुच्छेद 108 से संबंधित है, जो संसद के दोनों सदनों की बैठकें बुलाने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित हैं।
- राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति को संविधान में "असाधारण शक्ति" के रूप में वर्णित किया गया है।
अध्यादेश का उपयोग:
- भारत के इतिहास में कई बार अध्यादेश जारी किए गए हैं।
- इनमें आपातकालीन स्थिति और तत्काल आवश्यकताओं के लिए जारी किए गए अध्यादेश शामिल हैं।
अनुच्छेद 123 का महत्व:
- यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को संसद के सत्र के अभाव में भी कानून बनाने की अनुमति देता है, जो जल्दी कार्यवाही के लिए आवश्यक है।
- यह अनुच्छेद विधायी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
भारत के संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति तभी प्रयोग की जाती है जब संसद का सत्र न हो और किसी कानून की तत्काल आवश्यकता हो। यह अनुच्छेद भारत के संविधान के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है।